कभी-कभी जीवन में ऐसे लोग मिलते हैं
जो सिर्फ अपने काम से नहीं, बल्कि अपनी सादगी, अपने संघर्ष और अपनी चुप्पी से भी दुनिया को एक गहरा संदेश दे जाते हैं। ऐसे ही एक शख्सियत हैं भारतीय क्रिकेट के 'रॉकस्टार', हमारे अपने रविन्द्र जडेजा।
जब भी उनका नाम आता है
, आंखों के सामने एक तस्वीर उभर आती है – चेहरे पर गंभीर एकाग्रता, हाथों में बल्ला या गेंद, और मैदान के कोने-कोने में उनकी धारदार फील्डिंग। आज, उनके जन्मदिन के इस खास मौके पर, चलिए बैठते हैं और उनके सफर को थोड़ा करीब से जानने-समझने की कोशिश करते हैं।
रविन्द्र जाडेजा का जन्म 6 दिसंबर 1988 को गुजरात
के एक छोटे से शहर, नवागाम में हुआ था। उनकी कहानी शुरू होती है एक छोटे-से, साधारण परिवार से। उनके पिता एक सुरक्षा गार्ड थे और मां एक नर्स। घर की आर्थिक हालात ऐसी नहीं थी कि क्रिकेट जैसे महंगे खेल में आसानी से कदम रखा जा सके। लेकिन जज्बा और जुनून जब सवार हो जाए, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनने लगते हैं।
रविन्द्र के बड़े भाई ने उनमें छिपी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित किया। कितनी मार्मिक बात है ना? एक भाई का विश्वास और सपोर्ट कैसे एक बच्चे के सपनों को उड़ान दे सकता है। रविन्द्र ने इस विश्वास को कभी धोखा नहीं दिया।
उनके सफर की शुरुआत की कहानियां बेहद प्रेरणादायक हैं।
कहते हैं कि पैसे की तंगी के चलते उनके पास अच्छे क्रिकेट जूते तक नहीं हुआ करते थे। वो अक्सर बिना जूतों के ही प्रैक्टिस किया करते थे। यही नहीं, उनके पास अपना अलग बल्ला भी नहीं था। दूसरे खिलाड़ियों के बल्ले से प्रैक्टिस करने वाले इस लड़के ने हार नहीं मानी। शायद यही संघर्ष उनकी ताकत बना। उनकी प्रतिभा ने जल्द ही सबका ध्यान खींचा और वो रणजी ट्रॉफी में गुजरात की तरफ से खेलने लगे। लेकिन असली मोड़ आया 2008 के अंडर-19 क्रिकेट विश्व कप का, जहां उन्होंने भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई और सबकी नजरों में आ गए।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में रविन्द्र जडेजा का आगमन
एक रोलर कोस्टर राइड की तरह रहा। उन्हें शुरुआत में सिर्फ एक 'लिमिटेड ओवर्स का स्पेशलिस्ट' समझा जाता था। कुछ लोग उनकी बल्लेबाजी को लेकर शंकित थे, तो कुछ उनकी गेंदबाजी को 'साधारण' बताते थे। लेकिन रविन्द्र ने कभी भी बाहर के शोर पर ध्यान नहीं दिया। वो चुपचाप, अपने अंदाज में, मेहनत करते रहे। उनकी यही 'चुप्पी' और 'जुझारूपन' आगे चलकर उनकी पहचान बना।
जडेजा की महानता का सबसे बड़ा प्रमाण है उनका '
एल-राउंड' प्रदर्शन। आज वो दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फील्डर हैं। उनके हाथों से कैच छूटना मुश्किल होता है। मैदान के किसी भी कोने से वो रन-आउट करने की क्षमता रखते हैं। यह कोई दैवीय प्रतिभा नहीं, बल्कि घंटों की मेहनत, अभ्यास और जुनून का नतीजा है। गेंदबाजी में, वो धीमी लेफ्ट-आर्म ऑर्थोडॉक्स गेंदबाजी करते हैं, जो सतह पर साधारण लगती है लेकिन बेहद खतरनाक साबित होती है।
वो बस लगातार एक ही लंबाई पर गेंद डालते हैं और बल्लेबाज को गलती करने के लिए मजबूर कर देते हैं। यह उनकी सबसे बड़ी कला है।
लेकिन जडेजा को सिर्फ एक बॉलर या फील्डर समझना उनके साथ अन्याय होगा। समय के साथ, उन्होंने खुद को एक विश्वसनीय बल्लेबाज के तौर पर भी साबित किया है। टेस्ट क्रिकेट में उनकी तिहरा शतक इस बात का जीवंत प्रमाण है।
कितनी बार ऐसा हुआ है जब भारतीय टीम मुश्किल में होती है और जडेजा, विराट कोहली या चेतेश्वर पुजारा के साथ मिलकर पारी को संभाल लेते हैं। वो न सिर्फ रन बनाते हैं, बल्कि समय भी खरीदते हैं, जो टेस्ट क्रिकेट में सबसे कीमती चीज होती है।
उनकी शख्सियत की सबसे खूबसूरत बात है
उनका सादगी भरा व्यक्तित्व। वो मैदान पर जितने आक्रामक और ऊर्जावान दिखते हैं, उतने ही शांत और संयमित मैदान के बाहर। वो शोशा या स्टारडम के पीछे भागते नजर नहीं आते। उनकी जिंदगी उनकी पत्नी रिवाबा और बेटी निहारिका के इर्द-गिर्द घूमती है। सोशल मीडिया पर भी वो बहुत कम एक्टिव रहते हैं। यह सादगी, इस भाग-दौड़ भरी दुनिया में, एक ताजी हवा के झोंके की तरह है।
आज, जब हम रविन्द्र जडेजा को देखते हैं
तो हमें सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं, बल्कि एक ऐसा इंसान दिखाई देता है जिसने अपनी मेहनत, लगन और हिम्मत से नामुमकिन को मुमकिन किया है। वो उन लाखों छोटे शहरों के बच्चों के लिए एक जीता-जागता सपना हैं, जो साधनों की कमी के बावजूद बड़े सपने देखते हैं।
वो यह साबित करते हैं कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत ईमानदार, तो दुनिया की कोई ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती।
हम सिर्फ यही दुआ कर सकते हैं
कि वो ऐसे ही खेलते रहें, हमें खुशियां देते रहें। उनकी जिंदगी की यह कहानी हमें यही सिखाती है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों न हों, अपने सपनों से कभी समझौता मत करो। क्योंकि जब एक सुरक्षा गार्ड का बेटा, भारतीय क्रिकेट टीम का स्टार बन सकता है, तो आप और हम क्यों नहीं? हैप्पी बर्थडे, रविन्द्र! तुम्हारी वजह से क्रिकेट और जिंदगी, दोनों ही ज्यादा खूबसूरत लगते हैं।
