क्रिकेट के इस पागलपन भरे देश में, जहाँ हर गली में एक कोहली या एक धोनी खोजा जाता है, वहाँ कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो सुर्खियों के बीचों-बीच नहीं, बल्कि उनकी किनारी पर चलते हैं। उनकी कहानी शोर-शराबे वाली नहीं, एक धीमी, लेकिन मज़बूत आवाज़ वाली होती है। और ऐसी ही एक कहानी है शार्दुल ठाकुर की।
अगर आपने भी उन्हें पहली बार देखा होगा, तो शायद यही सोचा होगा ये तो बिल्कुल हमारे जैसा एक आम लड़का है। और शायद यही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। वो स्टार लुक वाले क्रिकेटर्स की लाइन में नहीं खड़े होते, बल्कि ऐसे लगते हैं जैसे आपका या मेरा कोई पड़ोसी, जो संडे के मैच में विकेट लेकर खुशी से झूम उठता है। लेकिन इस 'आम' दिखने वाले शख्स के अंदर एक ऐसा जुनून और ज़िद है, जिसने उन्हें भारतीय क्रिकेट की दुनिया का एक अनसुना हीरो' बना दिया।
उनका सफर मुंबई की कठोर और धूप से तपटी हुई पिचों से शुरू हुआ। ये वो पिचें हैं जहाँ हजारों लड़के अपने सपने लेकर आते हैं, लेकिन गिने-चुने ही चुनाव हो पाते हैं। शार्दुल उनमें से एक थे। उनके पास न तो लाइटनिंग स्पीड थी, न ही कोई ऐसा जादुई हुनर जो सबकी नज़रें फौरन खींच ले। उनके पास था तो बस एक हौसला, एक लगन... वो लगन जो आपको सुबह-सुबह जगा दे, और शाम तक मैदान पर खड़ा रखे। वो 'वर्कहॉलिक' थे, जो यह मानकर चलते थे कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता।
और फिर वो मौका आया – टेस्ट डेब्यू। लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। चोट ने उनके सपनों पर पानी फेर दिया। ज़्यादातर लोगों के लिए ये वो मोड़ होता जहाँ से वापसी मुश्किल हो जाती। लेकिन शार्दुल के लिए ये एक चुनौती थी। उन्होंने हार नहीं मानी। वो वापस आए, और जिस तरह से आए, वो इतिहास बन गया।
वो द ब्रिस्बेन टेस्ट वाली इनिंग्स
जनवरी 2021 की वो सुबह, द गाबा। भारत की टीम मुश्किल में थी। ऐसे में शार्दुल ठाकुर बल्लेबाजी करने आते हैं। और फिर क्या? उन्होंने सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं की, उन्होंने एक ऐसी पारी खेली जिसने मैच का रुख ही बदल दिया। उन शॉट्स में कोई भारी-भरकम तकनीक नहीं थी, बल्कि एक जज़्बा था। एक दिल था, जो टीम के लिए जी-जान से लड़ रहा था। उस मैच में उनके विकेट भी महत्वपूर्ण थे। उस जीत के बाद, हर भारतीय प्रशंसक की जुबान पर एक नाम था – शार्दुल। उन्होंने साबित कर दिया कि जो लोग 'आम' दिखते हैं, वो कभी-कभी 'खास' से भी ज़्यादा काम के होते हैं।
शार्दुल की खूबसूरती उनकी 'थ्री-डायमेंशनल' होने में है। वो केवल गेंदबाज नहीं हैं, न ही सिर्फ बल्लेबाज। वो एक 'क्रिकेटर' हैं। वो किसी भी भूमिका में ढल जाते हैं। कभी नंबर 8 पर बैठकर छक्के लड़ाने, तो कभी क्रूशियल मौके पर एक ब्रेकथ्रू विकेट लेने। वो टीम के लिए वो स्पेशलिस्ट हैं जो हर तरह की मुसीबत का हल निकाल सकते हैं। कप्तान के लिए वो एक ऐसा खिलाड़ी हैं जिस पर वो हर मुश्किल घड़ी में भरोसा कर सकते हैं।
उनकी गेंदबाजी में कोई जबरदस्त रफ़्तार नहीं है, लेकिन है एक चालाक दिमाग। वो बॉल को बाहर और अंदर घुमा सकते हैं, लंबाई बदल सकते हैं, और बल्लेबाज को ऐसी गलती करने पर मजबूर कर सकते हैं जिसकी उसे उम्मीद भी न हो। और जब बल्ला हाथ में आता है, तो वो सिर्फ मैच बचाने के लिए ही नहीं, बल्कि जीत दिलाने के लिए भी मैदान पर डटे रहते हैं।
आज, जब भी भारतीय टीम को एक फाइटर की जरूरत होती है, सबकी निगाहें शार्दुल ठाकुर पर टिक जाती हैं। वो उस कोने का खिलाड़ी हैं जो चमकता नहीं है, लेकिन जब जरूरत पड़ती है, तो पूरी टीम को रोशनी देता है। उनकी कहानी हर उस आम इंसान के लिए एक सबक है जो खास बनना चाहता है। ये साबित करती है कि अगर आपके अंदर जुनून है, ज़िद है और कभी हार न मानने का हौसला है, तो आप न सिर्फ अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं, बल्कि इतिहास भी रच सकते हैं।
शार्दुल ठाकुर सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं हैं, वो एक 'विज़न' हैं। उस विज़न का नाम है – 'कभी हार मत मानो'।
धनबाद 🙏
