जी हाँ, आज बात करने का मन कर रहा है एक ऐसी लड़की के बारे में जो सिर्फ गाने नहीं गाती, बल्कि उसकी आवाज़ में एक पूरा इलाका, एक पूरी संस्कृति बसती है। नाम है मैथिली ठाकुर। कभी-कभी लगता है कि जैसे उसकी आवाज़ बिहार और उत्तर प्रदेश की मिट्टी की सोंधी खुशबू लिए हुए है।
मुझे याद है पहली बार जब मैंने उसे 'हल्के-हल्के' गाते सुना था। वह कोई स्टूडियो का पॉलिश किया हुआ वर्जन नहीं था, बल्कि एक छोटा सा वीडियो था, जहाँ एक साधारण सी साड़ी पहने, बिना किसी झिझक के एक युवा लड़की गा रही थी। और उसकी आवाज़... उसकी आवाज़ में एक अजीब सा जादू था।
वह सिर्फ सुरीली नहीं थी, वह 'भरी हुई' थी। जैसे उम्र से पहले ही उसने जीवन के गहरे स्वरों को पहचान लिया हो। यही तो मैथिली की पहचान है - एकदम कच्ची, बिना छनी हुई, और बेहद ईमानदार।
सबसे खूबसूरत बात यह है कि मैथिली ने अपनी जड़ों को कभी नहीं छोड़ा। वह कोक स्टूडियो जैसे बड़े प्लेटफॉर्म पर भी जाती है, तो अपने साथ मैथिली, भोजपुरी के लोक गीतों की थाती लेकर जाती है। आज के दौर में, जब हर कोई पाश्चात्य संगीत की ओर भाग रहा है, मैथिली ने अपनी माटी के गीतों को दुनिया के सामने गर्व से पेश किया है।
उसने साबित किया है कि आप मॉडर्न बन सकते हैं बिना अपनी पारंपरिक पहचान को खोए। यह कोई छोटी बात नहीं है। यह एक तरह की सांस्कृतिक जिम्मेदारी का एहसास है, जो उसमें बचपन से ही दिखता है।
मैंने उसके कई इंटरव्यू सुने हैं। एक बात जो हमेशा महसूस होती है, वह है उसकी विनम्रता। इतनी शोहरत और सफलता के बाद भी उसके चेहरे पर एक बच्चे जैसी मासूमियत बरकरार है। जैसे उसे खुद पर इतना घमंड नहीं है कि वह यह भूल जाए कि वह कहाँ से आई है। यह गुण आज के समय में सोने से भी कीमती है।
वह सिर्फ एक सिंगर नहीं, बल्कि एक ऐसा रोल मॉडल है जो युवाओं को सिखाता है कि सफलता की ऊँचाइयाँ छूने के बाद भी जमीन से जुड़े रहना कितना जरूरी है।
कभी-कभी लगता है कि मैथिली ठाकुर सिर्फ एक नाम नहीं, एक 'भावना' है। वह हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो सोचता है कि छोटे शहरों या गाँवों से आकर बड़े सपने देखना मुश्किल है।
उसकी कहानी हमें यह विश्वास दिलाती है कि अगर आपमें प्रतिभा है और अपनी जड़ों पर अटूट विश्वास है, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती।
आज जब भी मैं उसका कोई गाना सुनता हूँ, लगता है जैसे दूर बैठी कोई अपनी बहन, कोई अपनी बेटी अपने दादा-नानी के गीत सुना रही हो। उसकी आवाज़ में एक ऐसा सुकून है, एक ऐसा घरेलूपन है जो आपको अपने घर ले आता है, चाहे आप दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न बैठे हों। और शायद यही तो असली कला है - दिलों को छू लेना और अपने साथ एक भावनात्मक रिश्ता बना लेना। मैथिली ने यह कर दिखाया है, और बहुत खूबसूरती से।
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