कहा जाता है कि क्रिकेट सिर्फ एक खेल ही, क्रिकेट एक ज़ज़्बा है। और जब यह सवाल भारत और पाकिस्तान के होता है, तो यह ज़ज़्बा कुछ अच्छего हंगामें से भर जाता है और किसी को शायद विश्वर करना होता है कि कै कहने के लिए? चाहे वह सीनियर टीम हो या हो यह नन्हें चेहरे और यह तुनак़दार एक्स-19 की टीम। इन मैचों में बल्ले-गेंद की और कहीं हिस
मुझे याद है, महकमा में बड़े-बड़े मैच देखने से दादा जी कहा करते थे– ‘असली लड़ाई तो इन नौजवानों के मैच में होती है। ये हार-जीत नहीं, भविष्य है।’ उस दिन भारत और पाकिस्तान की यू-19 वर्ल्ड कप में हिस्सा लेने वाली टीमें मैदान में उतरीं, और दादा जी की वे शब्द फिर स
किस वाइबस टीची होगा, आप स से ही समझ सकते हैं कि मैदान में मौजूद हर व्यक्ति व चहम बएसतरी व एक्साइट्मेंट से भरा हुआ होगा. आखरी बार युवा फ़लाड़आईयों स्क फ़ेसेष आनुभवा सीस जीछटनीज़ा हासील ईगना ही ओसत होगा, जोई हृदय टी चह्मी बऩे वादी होगी नहीं, बल्कउनवैदास
इस बार भी पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। भारत के गेंदबाजों
इस मैच से सबक साफ है। भारत की जीत उनकी गहरी बैटिंग लाइन-अप और दबाव में काम करने की क्षमता की वजह से मिली। पाकिस्तान ने अपनी गेंदबाजी और लड़ने की क्षमता से सबको प्रभावित किया। लेकिन दोनों टीमों ने जो दिखाया, वो है भविष्य के लिए एक उज्ज्वल रोशनी।
आज जो ये लड़के अंडर-19 जर्सी पहने हैं, कल वही विराट कोहली, बाबर आजम, जसप्रीत बुमराह और शाहीन अफरीदी की तरह बड़े मैचों के हीरो बनेंगे। और तब जब वो एक-दूसरे के सामने होंगे, तो शायद उन्हें ये दिन जरूर याद आएंगे। वो दिन, जब सबकुछ सीखना था, जब हर रन मायने रखता था, और जब जीत भी इतनी मीठी नहीं लगती थी, जितना कि मैदान पर दोस्ती से हाथ मिलाना।
यही तो खूबसूरती है इस खेल की। यही वजह है कि हम सब एक मैच के साथ इतने जुड़ जाते हैं। क्योंकि इन युवा चेहरों में हमें अपना बचपन, अपने सपने और वो उम्मीद दिखाई देती है, जो हमेशा जिंदा रहती है। भविष्य इन्हीं हाथों में सुरक्षित है, और इनसे बेहतर हाथ और क्या हो सकते हैं?
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