IMF द्वारा पाकिस्तान को लोन: एक विवादास्पद निर्णय
परिचय
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 9 मई, 2025 को पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की आर्थिक सहायता देने की मंजूरी दी। यह निर्णय IMF के विस्तारित निधि सुविधा (Extended Fund Facility - EFF) कार्यक्रम के तहत लिया गया। हालांकि, इस फैसले पर भारत ने कड़ा विरोध जताया और मतदान से दूर रहा, क्योंकि पाकिस्तान का आर्थिक इतिहास और आतंकवाद को प्रायोजित करने का रिकॉर्ड चिंताजनक है 24।
इस लेख में हम IMF द्वारा पाकिस्तान को दिए गए इस लोन के पीछे के कारणों, भारत की आपत्तियों, और इसके वैश्विक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
1. IMF ने पाकिस्तान को क्यों दिया लोन?
(A) पाकिस्तान की आर्थिक संकटग्रस्त स्थिति
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था वर्षों से कर्ज के बोझ तले दबी हुई है।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) लगातार घट रहा है, जिससे आयात और ऋण चुकाने में दिक्कत हो रही है 5।
मुद्रास्फीति (Inflation) 30% से अधिक है, जिससे आम जनता की क्रय शक्ति कम हो गई है।
(B) IMF का "Too Big to Fail" दृष्टिकोण
IMF का मानना है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इतनी बड़ी है कि उसे असफल होने नहीं दिया जा सकता।
अगर IMF ने पाकिस्तान को लोन देना बंद कर दिया, तो उसकी अर्थव्यवस्था पूरी तरह डिफॉल्ट हो सकती है, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता फैल सकती है 27।
(C) राजनीतिक दबाव
कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, IMF के फैसलों में राजनीतिक प्रभाव भी होता है।
अमेरिका और चीन जैसे देशों का पाकिस्तान पर रणनीतिक हित होने के कारण IMF पर दबाव बनाया जा सकता है 512।
2. भारत ने IMF के इस फैसले का क्यों किया विरोध?
(A) पाकिस्तान का आतंकवाद को फंड करने का इतिहास
भारत ने IMF को चेतावनी दी कि पाकिस्तान IMF के पैसे का उपयोग आतंकवाद को प्रायोजित करने में कर सकता है।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद को वित्तीय सहायता मिलने की आशंका है 28।
(B) पाकिस्तान का खराब ऋण चुकाने का रिकॉर्ड
पिछले 35 वर्षों में से 28 वर्ष पाकिस्तान ने IMF से लोन लिया है, लेकिन उसकी अर्थव्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ 714।
2019 से अब तक पाकिस्तान ने IMF से 4 बार आर्थिक सहायता ली है, जो उसकी आर्थिक नीतियों की विफलता को दर्शाता है 14।
(C) पाकिस्तानी सेना का अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण
भारत ने IMF को बताया कि पाकिस्तान में सेना का आर्थिक मामलों में अत्यधिक दखल है।
सेना से जुड़ी कंपनियाँ देश की सबसे बड़ी व्यावसायिक इकाइयाँ हैं, जिससे पारदर्शिता की कमी है 1012।
3. IMF की वोटिंग प्रक्रिया और भारत की रणनीति
(A) IMF में वोटिंग सिस्टम कैसे काम करता है?
IMF में 25 कार्यकारी निदेशक होते हैं, जो विभिन्न देशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
वोटिंग पावर देश की आर्थिक ताकत पर निर्भर करती है (जैसे अमेरिका के पास सबसे ज्यादा वोट शेयर है) 910।
"नहीं" वोट का कोई प्रावधान नहीं है – सदस्य या तो "हाँ" वोट कर सकते हैं या अनुपस्थित रह सकते हैं 79।
(B) भारत ने मतदान से क्यों किया किनारा?
भारत ने विरोध दर्ज करने के लिए वोटिंग से अनुपस्थित रहने का फैसला किया, क्योंकि IMF के नियमों के अनुसार "विरोध में वोट" देने का कोई विकल्प नहीं है 910।
भारत ने IMF को पाकिस्तान के खराब ट्रैक रिकॉर्ड और आतंकवाद को फंड करने की आशंका के बारे में आगाह किया 514।
4. पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और IMF लोन का प्रभाव
(A) पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की प्रतिक्रिया
शहबाज शरीफ ने कहा कि "भारत के दबाव के बावजूद IMF ने पाकिस्तान को लोन दिया, जो भारत की रणनीति की विफलता है" 24।
पाकिस्तान सरकार का दावा है कि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, लेकिन आंकड़े इसके विपरीत हैं 48।
(B) क्या IMF का यह लोन पाकिस्तान की मदद करेगा?
अल्पकालिक राहत: यह लोन पाकिस्तान को तत्काल विदेशी मुद्रा संकट से उबारने में मदद करेगा।
दीर्घकालिक समस्या: पाकिस्तान की कर्ज पर निर्भरता बढ़ेगी, और भविष्य में और अधिक IMF सहायता की जरूरत पड़ेगी 512।
5. निष्कर्ष: क्या IMF का यह फैसला सही है?
IMF द्वारा पाकिस्तान को लोन देना एक विवादास्पद निर्णय है। एक तरफ, यह पाकिस्तान को तत्काल आर्थिक संकट से बचा सकता है, लेकिन दूसरी तरफ, इससे आतंकवाद को फंडिंग मिलने का खतरा है। भारत का विरोध वाजिब है, क्योंकि पाकिस्तान का आर्थिक और आतंकवादी रिकॉर्ड खराब रहा है।
अंत में, IMF को अपनी नीतियों में सुधार करना चाहिए और नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए, ताकि वैश्विक वित्तीय संस्थानों पर से भरोसा न टूटे 14।
मुख्य बिंदु (Key Takeaways)
✅ IMF ने पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर का लोन दिया, जिस पर भारत ने विरोध जताया।
✅ पाकिस्तान का आर्थिक संकट और आतंकवाद को फंड करने का इतिहास चिंताजनक है।
✅ भारत ने वोटिंग से अनुपस्थित रहकर अपना विरोध दर्ज किया।
✅ IMF की वोटिंग प्रणाली में "नहीं" वोट का कोई विकल्प नहीं है।
✅ पाकिस्तान की सेना का अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक नियंत्रण सुधारों में बाधक है।
इस लोन का भविष्य में क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या पाकिस्तान सच में आर्थिक सुधार कर पाएगा, या फिर यह लोन एक और विवाद का कारण बनेगा
